भारत की वो 21 रियासतें जिनमें सरकार थी
1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय, 565 रियासतें थीं। इनमें से 21 रियासतों में स्वतंत्र सरकारें थीं। इन रियासतों में से 3 - मैसूर, हैदराबाद और कश्मीर - क्षेत्रफल में सबसे बड़ी थीं।
इन 21 रियासतों के नाम इस प्रकार हैं:
- मैसूर
- हैदराबाद
- कश्मीर
- जयपुर
- ग्वालियर
- इंदौर
- बड़ौदा
- कोल्हापुर
- त्रावणकोर
- पटियाला
- बीकानेर
- जोधपुर
- जूनागढ़
- भोपाल
- रीवा
- सिरोही
- धोलपुर
- किशनगढ़
- पोरबंदर
- कुच बिहार
- मणिपुर
इन रियासतों में, मैसूर, हैदराबाद और कश्मीर सबसे शक्तिशाली और स्वायत्त रियासतें थीं। इनके पास अपनी सेना, मुद्रा और कानून थे।
इन रियासतों के शासन में निम्नलिखित विशेषताएं थीं:
- राजा: रियासत का प्रमुख होता था।
- मंत्रिमंडल: राजा को सलाह देने के लिए मंत्रिमंडल होता था।
- विधानसभा: कुछ रियासतों में विधानसभा भी होती थी।
- न्यायपालिका: न्यायिक व्यवस्था के लिए न्यायालय होते थे।
- सेना: रियासतों की अपनी सेना होती थी।
- मुद्रा: कुछ रियासतों की अपनी मुद्रा भी होती थी।
स्वतंत्रता के बाद:
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, इन रियासतों को भारत में मिला लिया गया। कुछ रियासतों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का फैसला किया, जबकि कुछ रियासतों को भारत में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया।
इन रियासतों के विलय के बाद:
- रियासतों के राजाओं को विशेषाधिकार दिए गए।
- रियासतों के क्षेत्रों को राज्यों में मिला दिया गया।
- रियासतों की सेनाओं को भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया।
- रियासतों की मुद्रा को भारतीय रुपये से बदल दिया गया।
निष्कर्ष:
भारत की 21 रियासतें भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन रियासतों ने भारत की संस्कृति और विरासत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।